भीषण गर्मी से दिल्ली वालों के सामने मंडराया ये खतरा
सेहतराग टीम
ये जानकारी तो हममें से अधिकांश लोगों को है कि सूर्य की पराबैंगनी किरणों से हमारी रक्षा सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थित एक ओजोन लेयर करती है। पर्यावरण को हो रहे लगातार नुकसान के कारण ओजोन की ये परत अब पतली होने लगी है और इसके कारण सूर्य की पराबैंगनी किरणों से होने वाले नुकसान का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।
हालांकि ओजोन गैस भले ही सूर्य की पराबैंगनी किरणों को रोककर पृथ्वीवासियों की मदद करती हो मगर ये गैस अपने आप में मानव जाति के लिए हानिकारक होती है और इसके प्रभाव में आकर दमा एवं श्वास से संबंधित अन्य बीमारियों लोगों को अपनी चपेट में ले लेती हैं।
दिल्ली वालों के लिए चिंता की बात ये है कि इस बार की भीषण गर्मी में दिल्ली एवं आस-पास के शहरों में ओजोन का स्तर कई गुणा बढ़ा पाया गया है। इसके कारण लोगों की सेहत को गंभीर खतरा हो सकता है। एक अध्ययन में यह चिंता जताई गई है।
इस अध्ययन में कहा गया है कि औद्योगिक और गाड़ियों से होने वाले उत्सर्जन को नियंत्रित करने की जरूरत है। पर्यावरण से जुड़े थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) का दावा है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से रोज जारी होने वाले वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 10 एवं पीएम 25) के साथ ओजोन गैस एक प्रमुख प्रदूषक के रूप में उभर रहा है।
सीएसई ने कहा कि एक्यूआई के मुताबिक, एक अप्रैल से पांच जून 2019 के दौरान 28 दिनों तक ओजोन पार्टिकुलेट मैटर के साथ एक प्रमुख प्रदूषक रहा, जो काफी हैरान करने वाला है। वर्ष 2018 में इसी अवधि में, 17 दिनों के लिए ओजोन पार्टिकुलेट मैटर के साथ एक प्रमुख प्रदूषक रहा।
पर्यावरण विशेषज्ञ और सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा कि यह गंभीर चिंता का मामला है क्योंकि ओजोन एक खतरनाक गैस है जिसका विपरीत प्रभाव अस्थमा और सांस संबंधी अन्य बीमारी से पीड़ित लोगों पर पड़ सकता है।
अध्ययन में बताया गया है कि ओज़ोन का स्तर फरीदाबाद और गाजियाबाद में भी ज्यादा था। अध्ययन के मुताबिक, दिल्ली में ओज़ोन का स्तर सिरी फोर्ट, आर के पुरम, जेएलएन स्टेडियम, द्वारका सेक्टर आठ, रोहिणी जैसे इलाकों में अधिक था। इसके अनुसार, औद्योगिक और संस्थागत इलाकों में स्थिति समान रूप से खराब थी। वहीं, आया नगर, करणी सिंह शूटिंग रेंज, आईजीआई हवाई अड्डा, लोधी रोड, मंदिर मार्ग, पूसा रोड, पटपड़गंज, उत्तर परिसर, आईटीओ और आनंद विहार में ओजोन का स्तर कम था।
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